12 साल से बंद पड़े देश के एकमात्र आइस स्केटिंग रिंक में नजर आएगी बर्फ, मरम्मत में जुटे इंजीनियर

उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों के सफल समापन के बाद अब राज्य सरकार यहां मौजूद तमाम खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. इसी कड़ी में महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में पिछले 12 सालों से बंद पड़े आइस स्केटिंग रिंक को दुरुस्त करने का काम जोरों शोरों से चल रहा है. वर्तमान स्थिति ये है कि आइस स्केटिंग रिंक की मैन्युअल टेस्टिंग पूरी हो चुकी है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस महीने के अंत तक या फिर मई महीने की शुरुआत में ही स्केटिंग रिंक में बर्फ जमनी शुरू हो जाएगी. इसके लिए अमेरिका (यूएसए) के तीन इंजीनियर बर्फ जमाने वाले कंप्रेसर को दुरुस्त कर रहे हैं. साथ ही खेल विभाग एक नया सॉफ्टवेयर भी तैयार करा रहा है.

देहरादून स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में बने देश के एकमात्र इंडोर आइस स्केटिंग रिंक को साल 2024 में सरकार ने वापस ले लिया था. इससे पहले एक निजी कंपनी इसका संचालन कर रही थी. सरकार ने आइस स्केटिंग रिंक को अपने कब्जे में लेने के बाद करीब 12 साल बाद इस रिंक के बंद पड़े दरवाजों को खोला था. जिसकी मुख्य वजह 38वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन था. इसी स्केटिंग रिंक में 38वें राष्ट्रीय खेलों का लोगो, गान, शुभंकर, मशाल और जर्सी का लोकार्पण किया गया था. लिहाजा, 38वें राष्ट्रीय खेल संपन्न होने के बाद खेल विभाग ने आइस स्केटिंग रिंक को सुचारू करने का काम शुरू कर दिया था.

बता दें कि साउथ-इस्टर्न एशियन विंटर गेम्स के लिए साल 2011 में देश का एकमात्र आइस स्केटिंग रिंक को महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में बनाया गया था. साउथ एशिया के सबसे बड़े आइस स्केटिंग रिंक को उस दौरान करीब 80 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था. जिसके बाद साउथ-इस्टर्न एशियन विंटर गेम्स आयोजित हुआ, जिसमें भारत, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका ने हिस्सा लिया था.

इस आइस स्केटिंग रिंक में एकमात्र विंटर गेम्स का आयोजन किया गया. इसके बाद यहां पर कोई प्रतियोगिता नहीं हुई और न ही यहां कोई खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहा था. क्योंकि, इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. जिसकी मुख्य वजह थी कि आइस स्केटिंग रिंक को संचालित करने में काफी ज्यादा बिजली की खपत होती थी. साथ ही इस करके रख रखाव में भी काफी ज्यादा खर्च आता था.